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गांधी का सेवा संकल्प

मनोज कुमार   मोहनदास करमचंद गांधी यह नाम है उन हजार करोड़ भारतीयों में से एक जो अपने जीवन-यापन के लिए दूसरे लोगों की तरह शिक्षा प्राप्त करते हैं और परिवार की जवाबदारी उठाने के लिए वकालत की पढ़ाई करते हैं लेकिन कब और कैसे वे इस नाम से परे होकर महात्मा बन जाते हैं और उनका परिवार पीछे छूट जाता है और पूरे भारत वर्ष के लिए वे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से पुकारे जाते हैं. एक व्यक्ति से महात्मा हो जाना और हो जाने के बाद लोगों के दिलों में बसे रहना, उनके कहे अनुरूप जीवन जीना और दूसरों को सिखाना कि बापू कैसे सादगी भरा जीवन जीते थे,संभवत: इनके बाद शायद ही कोई दूसरा होगा. गांधी विश्व पुरुष हैं। स्वाधीनता, स्वदेशी, स्वराष्ट्र, स्वतंत्रता और समता, अहिंसा, सत्याग्रह और स्वच्छता सहित सारे मूल्य गांधीजी के लिए शब्द भर नहीं थे। उन्होंने सभी मूल्यों को सत्याग्रह की अग्नि आंच में तपाया था।   महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधीजी के बारे में 1944 में लिखा था-‘आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर चलता-फिरता था।’ उन्हों