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सितंबर 14, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
मनोज कुमार ब्रेकिंग न्यूज के दौर में हिन्दी के चलन पर ब्रेक लग गया है. आप हिन्दी के हिमायती हों और हिन्दी को प्रतिष्ठापित करने के लिए हिन्दी को अलंकृत करते रहें, उसमें विशेषण लगाकर हिन्दी को श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम बताने की भरसक प्रयत्न करें लेकिन सच है कि नकली अंग्रेजियत में डूबे हिन्दी समाचार चैनलों ने हिन्दी को हाशिये पर ला खड़ा किया है. हिन्दी के समाचारों में अंग्रेजी शब्दों की भरमार ने दर्शकों को भरमा कर रख दिया है. इसका एक बड़ा कारण यह है कि पत्रकारिता की राह से गुजरते हुए समाचार चैनल मीडिया में बदल गए हैं. संचार या जनसंचार शब्द का उपयोग अनुचित प्रतीत होता है तो विकल्प के तौर पर अंग्रेजी का मीठा सा शब्द मीडिया तलाश लिया गया है. अब मीडिया का हिन्दी भाव क्या होता है, इस पर चर्चा कभी लेकिन जब परिचय अंग्रेजी के मीडिया शब्द से होगा तो हिन्दीकी पूछ-परख कौन करेगा. हालांकि पत्रकारिता को नेपथ्य में ले जाने में अखबार और पत्रिकाओं की भी भूमिका कमतर नहीं है. चैनलों की नकल करते हुए अखबारों ने खबरों और परिशिष्ट के शीर्षक भी अंग्रेजी शब्दों से भर दिए हैं. शहर से इन अखबारों को मोहब्बत नहीं, सिटी उन