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अक्तूबर 9, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Beti

संदर्भ ः मध्यप्रदेश में बेटी बचाओ अभियान बेटियों के बैरी के खिलाफ शिवराजसिंह का संकल्प -मनोज कुमार स्त्री के तौर पर हमारे पास मां, बहन, बेटी, भाभी, मौसी, चाची, नानी, दादी और ऐसे ही अनगिनत रिश्तों का ताना बाना है। इन रिश्तों से हम हमेशा अपेक्षा करते रहे हैं किन्तु इनकी सुरक्षा की दिशा में शायद ही हम कभी गंभीर हो सके हैं। यही कारण है कि स्त्रियों की गिनती के आंकड़ें हमें भयभीत कर देते हैं। भयभीत कर देने वाले आंकड़ों के पीछे अनेक कारण गिनाये गये जिसमें सर्वोपरि बेटे की चाहत रही है। सदियों से स्त्री कुछ शापित सी रही है। समाज को हर स्त्री से एक बेटे की चाह रही है लेकिन उस बेटे की पत्नी कौन होगी, मां कौन कहलायेगी? रिश्तों का वह ताना बाना जिसकी हम ऊपर बात कर रहे हैं, किनसे बुना जाएगा? इसकी चिंता हममे से शायद बहुत लोगों ने नहीं की। प्रकृति का नियम है बराबरी का। दिन में सूरज के प्रकाश से दुनिया आलौकित होती है तो सांझ ढलते ही चंदा मामा प्रहरी बन कर खड़े हो जाते हैं। दोनों के लिये बराबरी का समय। विज्ञान भी बराबरी की बात करता है किन्तु कुछ निष्ठुर और निर्दयी लोगों ने प्रकृति और विज्ञान को भी च

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समागम का ताजा अंक दलित पत्रकारिता एवं रचनाकर्म पर मीडिया एवं सिनेमा की शोध पत्रिका समागम ऐसे विषयों को केन्द्र में रखकर सामग्री का प्रकाशन कर रही है जिसमें समूचे जीवन की धड़कन महसूस हो सके। समागम का ताजा अंक दलित पत्रकारिता एवं उनके रचनाकर्म पर है.....