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अगस्त 14, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
संकट, संयम और स्वावलंबन का पर्व मनोज कुमार 15 अगस्त, 1947 से लेकर 2019 तक हम आजादी का पर्व उत्साहपूर्वक मनाते आए हैं. इन वर्षों में ऐसा भी नहीं है कि कोई संकट नहीं उपजा हो लेकिन साल 2020 में जहां इस वक्त हम खड़े हैं, वह संकट, संयम और स्वावलंबन का पर्व बन गया है. कोविड-19 ने ना केवल भारत वर्ष के समक्ष चुनौतियों और संकटों का पहाड़ खड़ा किया है बल्कि पूरी दुनिया की मानवता के समक्ष भयावह संकट के रूप में उपस्थित है. जानकारों का कहना है कि हर सौ साल में ऐसी त्रासदी दुनिया में एक बार कयामत बन कर टूटती है. भारत की आजादी के बाद संभवत: यह पहला अवसर होगा जब हम इन चुनौतियों का सामना करने के लिए स्वयं को तैयार कर रहे हैं. हालांकि बीते सालों में कई किस्म की महामारी के शिकार हमारी सोसायटी होती रही है लेकिन कोविड-19 पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है. कोविड-19 का यह संकट हमारे लिए कुछ अधिक पीड़ादायक है. यह पीड़ा है उस तारीख के लिए जिस दिन हम गर्व के साथ अपना तिरंगा फहराते हैं. अपने भीतर देशभक्ति और स्वाभिमान से भर उठते हैं. यह हमारा राष्ट्रीय उत्सव होता है लेकिन इस बार हमारा राष्ट्रीय उत्सव रस्मी