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अगस्त 2, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

RTI Aur Hum

आरटीआई का उपयोग और आपकी छवि -मनोज कुमार सूचना का अधिकार कानून का यदि आप उपयोग नहीं करते हैं तो समझ लीजिये कि आप इस संसार के सबसे अच्छे लोगों में हैं और इसका उपयोग करते हैं तो आप उन लोगों के बीच खलनायक के तौर पर माने जाएंगे जिनका आपके हस्तक्षेप से कुछ नुकसान होने की आशंका है। पहले तो आपको समझाया जाएगा कि आप भले आदमी हैं। आपकी ऐसी छवि नहीं है और जब आप इन बातों में नहीं आएंगे तो वे कहेंगे आखिर आप भी वैसे ही निकले। लब्बोलुआब यह है सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने वाले किसी भी उस व्यक्ति की जो आमतौर पर किसी विवादों में नहीं पड़ता है। मुझे पता नहीं कि आपने आरटीआई अर्थात सूचना के अधिकार के तहत कोई जानकारी मांगने का कभी कोई प्रयास किया या नहीं और यदि इस कानून का उपयोग आप कर रहे हैं तो आपके अनुभव की भी मुझे कोई जानकारी नहीं। इस मामले में मैं अपना अनुभव जरूर आज आपसे बांटना चाहूंगा। आरटीआई है क्या, यह तो अब लोगों, खासतौर पर इलिट क्लास को बताने की जरूरत नहीं है। इसका उपयोग कहां और कैसे करना, यह भी उन्हें मालूम है और यह भी कि इसके उपयोग से उनके हितों पर क्या असर पड़ सकता है। कभी इस कानून का स

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हम क्यों करें मुफ्त की समाजसेवा -मनोज कुमार लगभग एक सप्ताह पहले दिल्ली से आरंभ हो रहे किसी बेवसाइट के संचालक का फोन आया। वे चाहते थे कि मैं उनके लिये लिखूं। साथ ही उनकी मंशा थी कि मेरे ब्लॉग पर लगे आलेख का वे उपयोग करें। पहले पहल तो मुझे उनके आग्रह पर कोई आपत्ति नहीं हुई। मैंने हामी भर दी कि जो आलेख मेरे ब्लाग पर पब्लिश हो चुके हैं, उनका आप उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने ऐसा किया भी। बेवसाइट शुरू होने के पहले तक मुझे पता नहीं था कि वे कितने और कैसे लेख का उपयोग करेंगे अथवा कर रहे हैं। इस बीच मैंने फोन करने वाले सज्जन को मेल से संदेश भेजा कि आप चाहें तो केवल आपके लिये आलेख लिखूंगा किन्तु इसके बदले मानदेय की व्यवस्था जरूर चाहूंगा। मेरे इस मेल का जवाब देना जरूरी नहीं समझा। अलबत्ता दो दिन बाद उनका संदेश मिला जिसमें बेबसाइट के आरंभ होने की सूचना थी। वेबसाइट पर जाकर सर्च किया तो पता चला कि मेरे दो आलेख का उपयोग किया गया है। एक आलेख मेरे नाम के साथ और एक आलेख बिना नाम के दिया गया है। बेवसाइट के आरंभ होने पर बधाई का संदेश तथा एक नया आलेख बेवसाइट के लिये प्रेषित किया। अपनी शिकायत भी मैंने संदेश