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जनवरी 28, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गांधी : सदा के लिए, सबके लिए

  मनोज कुमार               राष्ट्रपिता अथवा महात्मा को लेकर मत-भिन्नता हो सकती है लेकिन गांधी को लेकर सबके विचार समान ही होना चाहिए, यह माना जा सकता है. लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि राष्ट्रपिता अथवा महात्मा को लेकर सवाल उठाना गलत है. यह सवाल सहज ही उठता है कि एक तरफ गांधी को लेकर सहमति की चर्चा है तो दूसरी तरफ राष्ट्रपिता या महात्मा लेकर मत भिन्नता पर स्वीकृति? आखिर गांधी ही तो राष्ट्रपिता अथवा महात्मा हैं. यहीं पर विचार के मार्ग पृथक हो जाते हैं. राष्ट्रपिता अथवा महात्मा व्यक्ति के रूप में हैं किन्तु गांधी व्यक्ति नहीं विचार के रूप में हमारे बीच मौजूद हैं. गांधी विचार को भारत भूमि पर ही नहीं, समूचे संसार में स्वीकार किया गया है. वर्तमान समय में गांधी विचार पहले से ज्यादा सामयिक और व्यवहारिक हो गया है. लेकिन इसके साथ ही गांधी को लेकर मत-भिन्नता का ग्राफ भी बढ़ा है और यह अस्वाभाविक भी नहीं है. गांधी विचार और राष्ट्रपिता या महात्मा में सूत भर का फकत अंतर है. जो समझना चाहते हैं,  वे जानते हैं या जान जाएंगे कि हम किसके साथ हैं या किसके खिलाफ हैं. राष्ट्रपिता या महात्म