सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

नवंबर 28, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक नयी सुबह की आस मे

-अनामिका छत्तीसगढ़ माओवादी हिंसा का शिकार रहा है. कुछ महीने पहले हुये भीषण हादसे के बाद छत्तीसगढ़ समेत पूरा देश सिहर उठा था. यह एक भयानक हादसा था. अब जबकि राज्य में 2013 के विधानसभा चुनाव होना था तब लोगों में सहज आशंका थी कि यह चुनाव भी रक्तरंजित होगा और माओवादी चुनाव को निर्विघ्र सम्पन्न नहीं होने  देंगे. यह आशंका शासन-प्रशासन के साथ राजनीतिक और सामाजिक हल्कों में व्याप्त थी. इसी के मद्देनजर कड़े सुरक्षा के प्रबंध किये गये थे लेकिन इन सुरक्षा प्रबंधों को पहले भी माओवादी भेद चुके हैं सो इस बार भी आशंका थी कि कुछ बड़ा हादसा हो सकता है. सारी आशंकाओं और पूर्वानुमानों को धता बताते हुये राज्य में 2013 के विधानसभा चुनाव के लिये मतदान शांतिपूर्ण सम्पन्न हो गया तो यह एक चौंकाने वाली बात थी. यह माओवादियों के पस्त हौसले का सबब दिख रहा था तो छत्तीसगढ़ की जनता का हिंसा के खिलाफ लोकतंत्र पर विश्वास जताकर अहिंसक तरीके से विरोध किये जाने का संदेश भी मिला. यह सब कुछ इतना राहत देने वाला था कि कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि तूफान के आने के पहले की शांति के बीच तूफान का आना तो दूर सरकने की भी आवाज