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अप्रैल 27, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

किसकी जय और किसकी पराजय?

मनोज कुमार दिल्ली म्युनिसपल कॉर्पोरेशन के चुनाव होने के पहले से लेकर परिणाम आने तक ऐसा हल्ला मचा रहा कि मानो कोई आम चुनाव होने जा रहा है. जैसे देश के हजारों नगर निगमों में चुनाव होते हैं, वैसा ही दिल्ली का चुनाव था लेकिन इसे राष्ट्रीय स्वरूप देकर अनचाहे में अरविंद केजरीवाल का कद और ऊंचा कर दिया गया. जैसा कि पहले से माना जा रहा था कि इस स्थानीय निकाय के चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर होगा सो रहा. आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन संतोषजनक रहा क्योंकि उसके पास वहां खोने के लिए कुछ नहीं था और ऐसे में जो मिला, वह कम नहीं है. चिंतनीय स्थिति तो कांग्रेस की है जिसके बारे में चर्चा भी नहीं हो रही है. परिणाम के लिहाज से वह तीसरे स्थान पर रही लेकिन सबसे बड़ी बात यह रही कि कांग्रेस प्रत्याशियों की रिकार्ड जमानत जब्त हुई. यह तो दिल्ली नगर निगम के चुनाव का मोटा मोटा हिसाब किताब है. बिन्दुवार जब इस विश£ेषण करते हैं तो पाते हैं कि चुनाव परिणाम में पीछे रहने वाली आम आदमी पार्टी का जलवा कायम है जबकि भाजपा के पास सिवाय मोदी मंत्र के कुछ और नहीं है. इस चुनाव में विजय हासिल करने में अमित शाह की रणनीति क