गुरुवार, 31 दिसंबर 2015


आपके स्नेह एवं सहयोग से शोध पत्रिका ‘समागम’ ने वर्ष 2000 में जो यात्रा आरंभ की थी, वह सफलतापूर्वक जारी है. जनवरी 2016 में ‘समागम’ का यह अंक विशेष संदर्भ के साथ प्रकाशित किया गया है. 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है और इसी तारीख पर दादा माखनलाल चतुर्वेदी की भी. संभवत: एक तारीख पर दो महामना को साथ रखकर नए संदर्भ में देखने की कोशिश अब तक नहीं हुई है. शोध पत्रिका ‘समागम’ एक विनम्र कोशिश कर रहा है. आवरण पृष्ठ आपके अवलोकनार्थ पोस्ट कर रहा हूं. फरवरी 2016 में शोध पत्रिका ‘समागम’ का नया वर्ष आरंभ होगा. फरवरी का अंक शोध पत्रिका ‘समागम’ का विशेषांक होगा जिसमें सिंहस्थ 2016 को नयी दृष्टि से समझने की चेष्टा की गई है यथा कि सिंहस्थ भारतीय जीवनशैली है जिसे नयी पीढ़ी में किस प्रकार हस्तांतरित किया जाए, सोशल मीडिया के विस्तार के साथ मीडिया की नई टेक्रनालॉॅजी के इस दौर में ऐसे पारम्परिक आयोजनों को किस तरह समझा जाए, जिन लोगों ने चार-पांच या अधिक सिंहस्थ को देखा है, उनके अनुभव, मूल्यहीनता के दौर में सिंहस्थ के बहाने नैतिक मूल्यों की चिंता आदि-इत्यादि को विषय के केन्द्र में रखकर अंक का संयोजन किया जा रहा है। साथ में एक दुर्लभ अवसर है छत्तीसगढ़ के राजिम कुंभ का. यह विशिष्ट अवसर है जब मध्यप्रदेश में सिंहस्थ और छत्तीसगढ़ में राजिम कुंभ. राजिम कुंभ को भी जीव चेतना के संकल्प के रूप में देखते हुए सामग्री का संकलन किया जा रहा है. शोध पत्रिका ‘समागम’ के बारे में आपकी सहभागिता हमारा साहस है, संबल है और सफर को आगे बढ़ाने का सिलसिला.
नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ.

खबर का मजा या मजे की खबर

प्रो. मनोज कुमार  अखबार में खबर पढ़ते हुए लोगों की अक्सर टिप्पणी होती है खबर में मजा नहीं आया, सवाल यह है कि पाठक को मजे की खबर चाहिए या खबर ...