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सितंबर 26, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मजबूरी के गांधी

  -मनोज कुमार वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया विश्लेषक  महात्मा गांधी की जनस्वीकार्यता पर कभी कोई सवालिया निशान नहीं लगा. महात्मा द्वारा बताये गए  सादा जीवन, उच्च विचार लोगों को हमेशा से शालीन जीवन के लिये प्रेरित करते रहे हैं. मांस-मदिरा के सेवन से दूर रहने की शिक्षा एवं अङ्क्षहसा के बल पर जीने के जो रास्ते महात्मा ने अपने जीवनकाल में बताये थे, वह हर भारतीय के लिये आजीवन आदर्श रहे हैं. भारतीय ही नहीं, दुनिया के लोगों को भी महात्मा का बताया रास्ता जीने का सबसे सहज एवं सुंदर रास्ता लगा है. इससे परे एक-डेढ़ दशक में महात्मा गांधी के प्रति राजनीतिक दलों की स्वीकार्यता अचरज में डालने वाली है. आज 2 अक्टूबर को हर वर्ष की तरह जब हम  महात्मा गांधी की जयंती का उल्लास मना रहे हैं और इस उल्लास में कैलेंडरी उत्सव से अलग होकर विभिन्न राजनीतिक दल भी महात्मा का स्मरण करेंगे. राजनीतिक दलों में महात्मा के प्रति यह  जो  चेतना जागृत हुई  है, उसे सकरात्मक भाव से देखें तो अच्छा लगेगा कि जिस महात्मा को अपने ही देश में पचास साल से ज्यादा समय में राजनीतिक स्वीकार्यता नहीं मिली, आज उस देश की राजनीतिक