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अक्तूबर 11, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मीडिया

क्यों बंद हो जाते हैं कॉलम? राजधानी भोपाल के एक बड़े अखबार ने एकाएक सारे खबरी कॉलम बंद कर दिये जाने से पत्रकारों के साथ पाठकों में भी हैरत है। आखिरी अचानक ऐसा क्यों किया गया? यूं भी अखबारों में साप्ताहिक कॉलम लिखने की आजादी पत्रकारों को मिलती है। संभवत: इस कॉलम लिखवाने के पीछे संपादक का उद्देश्य संभवत: यही होता है कि जो तथ्य खबरों के माध्यम से पाठकों तक नहीं पहुंच पाती हैं, वह कॉलम के माध्यम से पाठकों तक पहुंच जाएं। इससे पत्रकार को भी यह लाभ होता है कि लोग जान जाते हैं कि अमुक विभाग की खबर कौन लिख रहा है। पत्रकार की वि·ासनीयता और प्रतिष्ठा दोनों बढ़ती है। कॉलम छपता रहे यहां तो ठीक हैं लेकिन अचानक बिना किसी सूचना कॉलम बंद कर दिया जाना पाठकों के हित में नहीं है।

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अंजनी भास्कर रायपुर में एनीपत्रकार अंजनी कुमार झा भास्कर रायपुर में समाचार संपादक बनाये गये हैं. टेलीफोन पर स्वयं श्री झा ने इसकी सूचना दी. श्री झा इसके पहले न्यूज एजेंसी हिन्दुस्तान समाचार एवं नवभारत में काम कर चुके हैं. मूलत: बिहार के रहने वाले अंजनी कुछ वर्ष पहले ही मध्यप्रदेश की पत्रकारिता में सक्रिय हुए. मध्यप्रदेश जनसम्पर्क संचालनालय द्वारा दिया जाने वाला राजेन्द्र माथुर पत्रकारिता फेलोशिप, स्वराज संस्थान संचालनालय का स्वाधीनता फेलोशिप मिल चुका है. मध्यप्रदेश साहित्य परिषद द्वारा उनकी पांडुलिपि के लिये आर्थिक सहायता भी मिली है.