जन्मदिन 6 अप्रेल पर विशेष -मनोज कुमार 50 साल पहले लगभग-लगभग 32-35 साल का एक युवा बनाना तो फिल्में था लेकिन उसकी रूचि सिनेमा के इतिहास को संजोने की हुई. एक बड़े सपने को लेकर छोटी सी कोशिश करने वाले परमेश कृष्णनन नायर ने अपने हौसले से एक ऐसे संग्रहालय गढ़ दिया जिसे आज हम नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया के नाम से जानते हैं. आज 6 अप्रेल है और नायर साहब आज हमारे साथ होते तो 82 साल पार कर चुके होते लेकिन पिछले मार्च महीने उनकी सांसों का हिसाब-किताब ईश्वर के खाते में हो गया. यह सच है कि नायर साहब आज हमारे साथ नहीं हैं लेकिन उन्होंने जो काम किया, वह कभी खत्म नहीं होगा. नायर साहब के जन्मदिन के बहाने उन्हें याद करना, उनके द्वारा किये गए कार्य को सलाम करना बनता है. आखिर बार-बार और हर बार ऐसे परमेश कृष्णनन नायर थोड़े ही हमारे बीच आते हैं. नायर साहब का जीवन एनएफएआई में फिल्मों के संरक्षण और संग्रहण के लिए समर्पित रहा। उन्होंने कई ऐतिहासिक भारतीय फिल्मों के संग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत में सिनेमा के जनक के रूप में दादा साहेब फाल्के की प्रतिष्ठा है. दादा...
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