सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

नवंबर 18, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कवि मुक्तिबोध की जन्मशती

-मनोज कुमार साहित्य समाज में किसी कवि की जन्मशती मनाया जाना अपने आपमें महत्वपूर्ण है और जब बात मुक्तिबोध की हो तो वह और भी जरूरी हो जाता है। मनुष्य की अस्मिता, आत्मसंघर्ष और प्रखर राजनीतिक चेतना से समृद्ध स्वातंत्रोत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व के रूप में स्थापित मुक्तिबोध अपने समय के एक ऐसे कवि हुए हैं जिनकी उम्र बहुत छोटी रही लेकिन उनकी कविता सदियों के लिए अमर हो गई। मध्यप्रदेश में जन्मे और छत्तीसगढ़ के होकर रह जाने वाले मुक्तिबोध की पहचान राजनांदगांव से है। हालांकि मुक्तिबोध किसी एक शहर या प्रदेश के नहीं बल्कि समूची दुनिया के कवि हैं और उनकी समय से बात करती कविताओं का यह शताब्दि वर्ष है। गजानन माधव ‘‘मुक्तिबोध’’ (13 नवंबर 1917 -11 सितंबर 1964) हिन्दी साहित्य की स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व थे।  वर्ष 2017 हिन्दी के अपने समय के जुझारू कवि मुक्तिबोध का जन्मषती वर्ष है। हिन्दी साहित्य में सर्वाधिक चर्चा के केन्द्र में रहने वाले मुक्तिबोध कहानीकार भी थे और समीक्षक भी। उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का एक सेतु भी माना जाता