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मार्च 30, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

kamyabi

सुकून की खबर मनोज कुमार कहते हैं नदी अपना रास्ता खुद बना लेती है और यह काम कर दिखाया फूलबासन ने। छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले के एक अनाम से गांव की इस महिला की न तो कोई राजनैतिक रसूख है और न वह भारी थैली वाली। एक ठेठ देहाती औरत जो ब्याहे जाने के पहले भी फाकाकशी की जिंदगी बसर कर रही थी और ब्याहने के बाद भी। जैसे-तैसे सातवीं कक्षा तक अक्षर ज्ञान हासिल करने वाली फूलबासन को सरकार की स्वसहायता योजना ने राह दिखायी। जिला प्रशासन ने एक पहल की और फूलबासन ने इस पहल को अपने प्रयासों से हिमालय सा खड़ा कर दिया। दस लोगों का समूह बनाकर शासन की स्कीम से कदमताल करती हुई फूलबासन गांव की बहनों तक पहुंची तो देखते ही देखते एकला चलो अभियान कारवां में बदल गया था। इस कारवां में सौ-पचास नहीं बल्कि लाखों की तादात में बहनें शामिल थीं। इनके पास बचत किये हुए रुपयों की संख्या हजारों में नहीं बल्कि करोड़ों में थी। सूदखोरों को महिला शक्ति ने पानी पिला दिया और हर बहन के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।  एक गांव का सफर अब छत्तीसगढ़ राज्य की पहचान बन गया था।  ११ बरस पहले छत्तीसगढ़ स्वतंत्र राज्य बना और फकत इन्हीं ग्या