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सितंबर 18, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक और गांधी की दस्तक

-मनोज कुमार हाल ही के उप-चुनाव के परिणाम से जहां कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की सांसें लौट आयी है, वहीं भाजपा में मंथन का दौर शुरू हो गया है. सौ दिन में ही ऐसे परिणाम की अपेक्षा किसी को नहीं थी लेकिन जो हुआ, वह सच है और इससे मुकरना बचकाना होगा. अब सवाल यह है कि उपचुनाव का यह परिणाम क्यों हुआ? क्या इस उपचुनाव में भाजपा अकेले मैदान में थी और उनका सबसे प्रभावी और दमदार चेहरा नरेन्द्र मोदी गायब थे या फिर अमित शाह के भाजपा की कमान सम्हालने के बाद यह परिणाम आया है? कुछ भी हो सकता है लेकिन एक बात तय है कि इस परिणाम ने यह बता दिया कि सौ दिन पहले जिस नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भाजपा, माफ करना नरेन्द्र मोदी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी, वह सौ दिन में काफूर होते नजर आ रही है। इस उपचुनाव में भाजपा ने कहीं नारा नहीं दिया इस बार मोदी सरकार. सरकार तो बन गयी थी, विधायक या सांसद के लिये भाजपा ने नहीं कहा कि मोदी की सफलता के कारण इन्हें जीताओ। इन परिणामों से यह बात तो तय हो गई कि जब भाजपा मैदान में होगी तो उसके लिये जीत का रास्ता निष्कंटक नहीं होगा लेकिन मोदी जैसे चेहरे को लेकर और इससे आगे कहें कि