सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

शिवराजसिंह का जादू चल गया

-मनोज कुमार
पहले विधानसभा चुनाव और बाद में लोकसभा चुनाव में करिश्माई जीत के सूत्रधार शिवराजसिंह चौहान के बारे में जो लोग यह मानस बना रहे थे कि नगरीय निकाय के चुनाव में उनका जादू नहीं चलेगा, उन सबका भ्रम टूट गया। शिवराजसिंह चौहान ने एक बार साबित कर दिखाया कि वे ही मध्यप्रदेश के एकमात्र नेता हैं जिनका जादू प्रदेश की जनता पर एक दशक से सिर चढक़र बोल रहा है और बोलता रहेगा। नगरीय निकाय के चुनाव परिणाम से यह बात तो साफ हो गयी और आगे भी किसी किस्म का संशय शेष नहीं रहेगा। शिवराजसिंह चौहान जिस तरह आम आदमी पर छाये हुये हैं तो वह कोई करिश्मा नहीं बल्कि उनकी आम आदमी की बेहतरी की दिशा में किये गये प्रयास हैं। सरकार की वो योजनायें हैं जो आम आदमी को सीधा लाभ पहुंचा रही हैं। उनका आम आदमी से सीधा संवाद भी उनकी कामयाबी का एक बड़ा कारण है तो आम आदमी उन्हें अपना मुख्यमंत्री इसलिये मानता है कि वे प्रपंच-प्रचार से दूर आज भी एक आम आदमी की जिंदगी जीते हैं। ऐसे ही कारणों से परायों और अपनों की कोशिशों की लाख कोशिशों के बावजूद उनकी लोकप्रियता में कमी नहीं आ पायी है। नगरीय निकाय में भाजपा की जीत इस बात का ताजा उदाहरण है।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान सादे और सरल प्रकृति के व्यक्ति हैं। मुख्यमंत्री बन जाने के पहले सांसद और विधायक के रूप में उन्होंने जो अपनी छवि बनायी थी, वह मुख्यमंत्री बन जाने के बाद चटकी नहीं बल्कि और उसमें इजाफा हुआ। वे पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री आवास का दरवाजा आमजन के लिये खोल दिया। खुले दिल से उनका स्वागत किया और यह जता दिया कि वे उनके अपने हैं। मुख्यमंत्री होने के नाते उनके अपने एजेंडे में कभी कोई गफलत नहीं रही। वे हमेशा से यह चाहते रहे हैं कि महिलाओं के सशक्त हो जाने से ही समाज सशक्त होता है। इस सोच के साथ उन्होंने अपने लगभग दस वर्ष के कार्यकाल में अनेक योजनाओं का सूत्रपात किया। एक अनुभव यह भी हुआ कि पूर्ववर्ती सरकारों में जिस तरह योजनायें कागज में कैद हो जाती थीं, शिवराज सरकार में ऐसा नहीं हुआ। सभी योजनाओं का क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर हुआ और आखिरी छोर पर बैठे व्यक्ति को इसका लाभ मिला। यह इसलिये भी संभव हुआ कि स्वयं मुख्यमंत्री ने इन योजनाओं के क्रियान्वयन को परखा और समय समय पर इसमें संशोधन सुधार के प्रयास किये। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के इन प्रयासों का सुफल यह रहा कि मध्यप्रदेश की स्त्री सशक्तिकरण की दिशा में सक्र्रिय योजनाओं को देश के अनेक राज्यों ने अपने यहां लागू किया।
देहात से दिल्ली तक मध्यप्रदेश की योजनाओं की आवाज सुनायी देने लगी है। आम आदमी के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में शिवराजसिंह की पहचान बन गयी है। शिवराजसिंह चौहान आम आदमी की भांति जिंदगी जीते हैं। एक मुख्यमंत्री की व्यस्तता अपनी जगह होती है लेकिन इससे परे वे अपने परिवार के साथ आम आदमी की तरह बाजार जाते हैं। खरीददारी करते हैं और उत्साह के साथ गणपति की पूजा भी करते हैं और मकर संक्राति का पतंग भी उड़ाते हैं। शिवराजसिंह एक मुख्यमंत्री के नाते सर्वधर्म समभाव के पक्षधर रहे हैं और इस नाते वे मुख्यमंत्री निवास के आंगन में समय समय पर विभिन्न धर्मों के उत्सव का आयोजन भी करते हैं। कभी किसी धर्म से परहेज नहीं किया। बड़े दिल वाले की तरह एक ऐसी कार्यसंस्कृति की परम्परा डाली कि आने वाले हर मुख्यमंत्री को इस रास्ते पर चल कर ही स्वयं को कामयाब बनाना होगा। लोगों से मिलने वे मुख्यमंत्री आवास में बुलाते रहे तो वे लोगों तक पहुंचते भी रहे। केवल चुनावी समय में उनका दौरा नहीं हुआ बल्कि वे समय मिलने पर लोगों के बीच पहुंचते रहे। उनकी यह सादगी लोगों के मन में छाप छोड़ गयी। 
गांव-गांव में लोगों को लगने लगा कि ऐसा मुख्यमंत्री दूजा नहीं मिलेगा, सो हर चुनाव में उनकी पसंद शिवराजसिंह चौहान की भाजपा बन गयी। हालिया नगरीय निकाय चुनाव परिणाम इस बात की गवाही देते हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जो रिकार्ड जीत हासिल किया, वह भी इतिहास है तो लोकसभा चुनाव में जीत का यह सिलसिला टूटा नहीं। टूटा तो वह भ्रम जो लोगों ने अनायस बना लिया था कि शिवराजसिंह का जादू खत्म होने चला है। यह भ्रम विपक्ष में बैठे लोगों में ही नहीं था बल्कि उनके अपनों ने भी यह भ्रम पाल लिया था। इस भ्रम की वजह थी जो अब तक महसूस किया गया। आमतौर पर एक समय गुजर जाने के बाद जो एक लगाव होता है, लोकप्रियता होती है, वह खत्म होने लगता है लेकिन शिवराजसिंह चौहान को समझने में भ्रम पालने वालों ने भूल कर दी। शिवराजसिंह मुख्यमंत्री के रूप में लोकप्रिय नहीं थे और न ही उनका जादू उनके मुख्यमंत्री होने के कारण चल रहा था। वे एक आम आदमी के प्रतिनिधि के रूप में लोकप्रिय थे और एक सेवक के रूप में उनका जादू चल रहा था। अपने दस साल के लम्बे कार्यकाल में इस जादू को टूटने नहीं दिया। वे जैसे थे, वैसे ही बने रहे और आहिस्ता आहिस्ता उनका जादू विरोधियों पर भी चलने लगा। जिन पर यह जादू चला, वे उनके संग हो लिये।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह की खासियत यह है कि वे अपनी लाईन बड़ी करने के लिये दूसरों की लाईन मिटाते नहीं हैं बल्कि वे स्वयं इतनी बड़ी लाईन खींच देते हैं कि दूसरों की लाईन स्वयमेव छोटी हो जाती है। अपने लम्बे कार्यकाल में शिवराजसिंह चौहान के समक्ष अनेक किस्म की चुनौतियां रहीं। वे चुनौतियों से निपटने में स्वयं को सक्षम बनाते रहे और हर चुनौती को कामयाबी में बदल कर इतिहास रचते रहे। यह कहना गलत होगा कि शिवराजसिंह चौहान चिरकाल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे लेकिन यह कहना उचित होगा कि अभी उनका कोई विकल्प नहीं है। शिवराजसिंह चौहान के कार्यकाल पर मीमांसा की जाएगी तो समीक्षा नहीं, शोध होगा कि आखिरकार उनके निर्णयों का ऐसा क्या आधार था कि वे लगातार जन-जन के मन में बसे रहे। मध्यप्रदेश के स्थापना के बाद अनेक स्तंभकारी मुख्यमंत्री हुये जिनकी चर्चा हमेशा होती है और शिवराजसिंह इसी पीढ़ी में शुमार होने वालों में एक होंगे।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

विकास के पथ पर अग्रसर छत्तीसगढ़

-अनामिका कोई यकीन ही नहीं कर सकता कि यह वही छत्तीसगढ़ है जहां के लोग कभी विकास के लिये तरसते थे।  किसी को इस बात का यकिन दिलाना भी आसान नहीं है कि यही वह छत्तीसगढ़ है जिसने महज डेढ़ दशक के सफर में चौतरफा विकास किया है। विकास भी ऐसा जो लोकलुभावन न होकर छत्तीसगढ़ की जमीन को मजबूत करता दिखता है। एक नवम्बर सन् 2000 में जब समय करवट ले रहा था तब छत्तीसगढ़ का भाग्योदय हुआ था। साढ़े तीन दशक से अधिक समय से स्वतंत्र अस्तित्व की मांग करते छत्तीसगढ़ के लिये तारीख वरदान साबित हुआ। हालांकि छत्तीसगढ़ राज्य बन जाने के बाद भी कुछ विश्वास और असमंजस की स्थिति खत्म नहींं हुई थी। इस अविश्वास को तब बल मिला जब तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लूप्रिंट तैयार नही हो सका था। कुछेक को स्वतंत्र राज्य बन जाने का अफसोस था लेकिन 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सत्ता सम्हाली और छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लू प्रिंट सामने आया तो अविश्वास का धुंध छंट गया। लोगों में हिम्मत बंधी और सरकार को जनसमर्थन मिला। इस जनसमर्थन का परिणाम यह निकला कि आज छत्तीसगढ़ अपने चौतरफा विकास के कारण देश के नक...

शोध पत्रिका ‘समागम’ का नवीन अंक

  शोध पत्रिका ‘समागम’ का नवीन अंक                                       स्वाधीनता संग्राम और महात्मा गांधी पर केन्द्रीत है.                      गांधी की बड़ी यात्रा, आंदोलन एवं मध्यप्रदेश में                                          उनका हस्तक्षेप  केन्दि्रय विषय है.

नागरिक बोध और प्रशासनिक दक्षता से सिरमौर स्वच्छ मध्यप्रदेश

  मनोज कुमार वरिष्ठ पत्रकार                    स्वच्छ भारत अभियान में एक बार फिर मध्यप्रदेश ने बाजी मार ली है और लगातार स्वच्छ शहर बनने का रिकार्ड इंदौर के नाम पर दर्ज हो गया है. स्वच्छ मध्यप्रदेश का तमगा मिलते ही मध्यप्रदेश का मस्तिष्क गर्व से ऊंचा हो गया है. यह स्वाभाविक भी है. नागरिक बोध और प्रशासनिक दक्षता के कारण मध्यप्रदेश के खाते में यह उपलब्धि दर्ज हो सकी है. स्वच्छता गांधी पाठ का एक अहम हिस्सा है. गांधी जी मानते थे कि तंदरूस्त शरीर और तंदरूस्त मन के लिए स्वच्छता सबसे जरूरी उपाय है. उनका कहना यह भी था कि स्वच्छता कोई सिखाने की चीज नहीं है बल्कि यह भीतर से उठने वाला भाव है. गांधी ने अपने जीवनकाल में हमेशा दूसरे यह कार्य करें कि अपेक्षा स्वयं से शुरूआत करें के पक्षधर थे. स्वयं के लिए कपड़े बनाने के लिए सूत कातने का कार्य हो या लोगों को सीख देने के लिए स्वयं पाखाना साफ करने में जुट जाना उनके विशेष गुण थे. आज हम गौरव से कह सकते हैं कि समूचा समाज गांधी के रास्ते पर लौट रहा है. उसे लग रहा है कि जीवन और संसार बचाना है तो ...