शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025

#Manoj मनोज कुमार की नयी किताब #Targeted Journlism


 किताब का शीर्षक ‘टारगेटेड जर्नलिज्म’ आपको सोचने के लिए विवश करेगा और कुछेक के मन में आएगा कि यह क्या नकरात्मक शीर्षक है. दरअसल ऐसा कुछ नहीं है. यह तो सभी सुधिजन मानते हैं कि वर्तमान समय पत्रकारिता का नहीं है. यह मीडिया का दौर है और मीडिया के इस दौर में ध्येनिष्ठ पत्रकारिता को विलोपित कर टारगेटेड जर्नलिज्म में गढ़ दिया गया है. पत्रकारिता परिवार के हमारे पुराधाओं ने पत्रकारिता के लिए कहा करते थे-‘ठोंक दो’ अर्थात मुरब्बत करने की जरूरत नहीं लेकिन बदलते दौर में  ‘निपटा दो’ में बदल दिया है. पहले में एक ध्य था और अब लक्ष्य है. सच या गलत में कोई अंतर नहीं करना है बल्कि जो विरोध में खड़ा हो, उसे निपटा देना है. शायद इस सोच के चलते पत्रकारिता सवालोंं के घेरे में है.

यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है कि आज पत्रकारिता करना कितना कठिन कार्य है. बाहरी दबाव की बात ना भी करें तो संस्थान के भीतर मैनेजमेंट का दबाव इतना होता है कि हम निर्भिक होकर अपनी बात नहीं कह पाते हैं. ऐसे में स्वतंत्र रूप से लेखन एक माध्यम बच जाता है जहां हम अपने मन की बात कर सकते हैं. अपने लिखे को समाज तक पहुंचाने का संकट बड़ा है तो समाधान भी छोटा नहीं है. आज मीडिया केन्द्रित अनेक वेबसाइट्स है जहां आपके लेख प्रकाशित होते हैं. ब्लॉग लेखन इसी का एक हिस्सा है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि हम नियमित रूप से लिखें. 

यह किताब नहीं है और ना ही किसी किस्म का दस्तावेजीकरण अपितु यह मेरे लेखों का संकलन मात्र है. यह किताब पत्रकारिता की नयी पीढ़ी के लिए काम आएगी, ऐसा मेरा विश्वास है.

samagam seminar Jan 2025