सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

देसी रंग में रंगा होगा ग्लोबल इनवेस्टर्स समि

 मनोज कुमार

ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट इस बार देसी रंग में रंगा होगा. दुनिया भर से आए उद्योगपतियों के लिए भी एक नया अनुभव होगा. विदेशी मेहमानों को मध्यप्रदेश की संस्कृति, कला एवं खान-पान से परिचय कराया जाएगा. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अथक प्रयासों के चलते और बार बार आयोजन की समीक्षा कर जीआइएस को अविस्मरणीय बनाने की कोशिश रंग दिखाने लगी है. इसके पहले भी अनेक जीआइएस हुए लेकिन सबका डेस्टिनेशन इंदौर हुआ करता था. यह माना जाता है कि इंदौर मध्यप्रदेश का मिनी बाम्बे होने के साथ उद्योग-व्यापारकी नगरी है लेकिन इस बार मोहन सरकार ने इंदौर के बजाय जीआइएस के लिए राजधानी भोपाल को नया डेस्टिनेशन बनाया है. अतिथियों के ठहरने और आवागमन की विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं. कोलार क्षेत्र में अतिथियों के रूकने के लिए विशेष इंतजाम किया गया है और इस बात का ध्यान रखा गया है कि वे प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकें. प्रदेश के लोक कलाकारों की प्रतिभा से अवगत कराने के लिए उनसे लोक चित्र बनवाये गए हैं जो बरबस ही मोह लेते हैं. एक जिला, एक उत्पाद से भी जहां अतिथियों को अवगत कराया जाएगा वहीं खान-पान में मध्यप्रदेश की खास डिश उनके लिए तैयार की जा रही है. मध्यप्रदेश की ब्रांडिंग के लिए मोहन सरकार की यह विशेष पहल है.  
उल्लेखनीय है कि फरवरी के दूसरे पखवाड़े में होने जा रहे जीआइएस के पहले मोहन सरकार ने प्रदेश के अनेक प्रमुख शहरों यथा पुणे, कोलकाता, बैंगलोर, कोयमबटूर एवं मुंबई के साथ ही प्रदेश के शहडोल, नर्मदापुरम, रीवा, ग्वालियर, जबलपुर एवं उज्जैन में उद्योगपतियों से चर्चा कर उन्हें प्रदेश में निवेश करने के लिए पे्ररित किया है. इसके अतिरिक्त जापान, जर्मनी और यूके जाकर उद्योगपतियों से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश से परिचय कराया और उद्योग स्थापित करने के लिए उन्हें आमंत्रित किया है। में इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया और उद्योगपतियों को भरोसा दिलाया कि मध्यप्रदेश में निवेश की अपार संभावनाएं हैं और उद्योपतियों को सरकार उनके साथ कदमताल करते हुए सुविधा उपलब्ध कराएगी. मोहन सरकार की आश्वस्ति के बाद निवेश की संभावनाओं के द्वार खुलने लगे हैं. आंकड़ों पर ना भी जाएं तो मोहन सरकार के प्रयासों को अच्छा प्रतिसाद मिलता दिख रहा है. इसी तरह जीआइएस के बाद मध्यप्रदेश उद्योग में ना केवल सिरमौर बनेगा बल्कि प्रदेश आर्थिक रूप से मजबूत होगा. प्रदेश के लाखों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे. जीआइएस का कार्यक्रम मानव संग्रहालय में आयोजित होगा. पीएम नरेंद्र मोदी भी इस कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर आएंगे.
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कहते हैं कि ‘मध्यप्रदेश भारत की विकास गाथा में सबसे आगे खड़ा है, जिसने विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है और प्रगति का प्रतीक बन गया है. व्यापार करने में आसानी, निवेशक-अनुकूल नीतियों और सतत विकास पर अपने ज़ोरदार जोर के साथ, राज्य ने एक ऐसा अनुकूल वातावरण बनाया है जहाँ नवाचार, उद्योग और बुनियादी ढाँचा पनपता है. जैसे-जैसे मध्य प्रदेश अपनी परिवर्तनकारी यात्रा पर आगे बढ़ रहा है, यह भारत के आर्थिक भविष्य को आकार देने वाली एक महत्वपूर्ण शक्ति और वैश्विक निवेशकों के लिए एक अग्रणी गंतव्य के रूप में उभरने के लिए तैयार है.
ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के इस मेगा इवेंट में सरकार किसी भी प्रकार की कमी नहीं छोड़ रही है. सुरक्षा से लेकर सुविधाओं तक सारे इंतजाम किए जा रहे हैं. ताकि देश के दिल में आने वाले मेहमानों के खातेदारी में कहीं कोई कमी न हो. इस मेगा इवेंट में मध्यप्रदेश की सरकार ने देश-विदेश के दिग्गज कारोबारियों को न्योता दिया है. खास बात ये है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में राज्य के प्रमुख 6 सेक्टर्स पर केंद्रित समिट के आयोजन की महत्वपूर्ण पहल की जा रही है.  इस आयोजन में देश के कई दिग्गज उद्योगपति शामिल होंगे. उन नामों में से कुछ खास नाम हैं, वो है गौतम अदाणी, टाटा ग्रुप के चेयरमैन केएन चंद्रशेखरन, विप्रो के अजीम प्रेमजी, महिंद्रा के आनंद महिंद्रा, एयरटेल के सुनील भारती मित्तल, अनिल अंबानी, एयरटेल के सुनील भारती मित्तल समेत अन्य नाम भी शामिल हैं.
ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में यह शायद पहली मर्तबा ही होगा कि जब एक ही मंच पर देश के दिल कहे जाने वाले प्रदेश में नीति, निवेश और नियोजन पर चर्चा होगी. हर सेक्टर के विशेषज्ञ, नीति-निर्माता और निवेशक मौजूद होंगे. दिग्गजों के एक मंच पर मंथन और संवाद प्रक्रिया से नए अवसर सृजित होंगे. प्रदेश आर्थिक रूप से सशक्त बनेगा. ऐसा अनुमान जानकार लगा रहे हैं.  ग्लोबल इन्वेस्टर समिट पर जिन छह सेक्टर्स पर बड़े निवेश की संभावना है, उस पर सबकी नजरे हैं. इन सेक्टर्स से जुड़े लोगों का सकारात्मक रूख है. वो छह सेक्टर्स हैं शहरी विकास, पर्यटन, माइनिंग, रिन्यूएबल एनर्जी, आईटी और एमएसएमई.  इसके अलावा एमपी कई क्षेत्रों में वैश्विक दुनिया के लिए तेजी से उभरता हुआ प्रदेश है. डायमंड प्रोड्यूसिंग स्टेट के साथ कई खूबियां एमपी को अलग बनाती हैं.  वहीं बीजेपी सरकार की पहल पर प्रदेश ग्रीन एनर्जी हब, विश्वस्तरीय पर्यटन केंद्र और उभरते हुए टेक्नोलॉजी हब के रूप में भी अपनी पहचान बना रहा है.
उल्लेखनीय है कि धार में विकसित हो रहा टेक्साइटल रीजन एंड अपैरल पार्क मध्यप्रदेश टेक्सटाइल और परिधान उद्योग के क्षेत्र में अपार संभावनाओं वाला राज्य बन चुका है. राज्य की समृद्ध कृषि पृष्ठभूमि, पारंपरिक बुनकर समुदायों की उत्कृष्ट कला, आधुनिक औद्योगिक आधार और निवेशक-अनुकूल नीतियां प्रदेश को इस क्षेत्र में अग्रणी बना रही हैं. सरकार के सुविचारित प्रयासों से मध्य प्रदेश तेजी से भारत के प्रमुख टेक्सटाइल और गारमेंट हब के रूप में उभर रहा है. धार जिले में विकसित किया जा रहा पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन एंड अपैरल पार्क प्रदेश के कपड़ा उद्योग को नया आयाम देगा. 2,100 एकड़ में फैले इस पार्क में टेक्सटाइल और गारमेंट उद्योगों के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा उपलब्ध होगा. यह पार्क न केवल निवेश आकर्षित करेगा, बल्कि प्रदेश को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बनाएगा.
ज्ञात हो कि मध्यप्रदेश में 60 से अधिक बड़ी कपड़ा मिलें, 4,000 से अधिक हथकरघे और 25 लाख स्पिंडल्स कार्यरत हैं. इंदौर, भोपाल, उज्जैन, धार, देवास, ग्वालियर, छिंदवाड़ा और जबलपुर प्रमुख टेक्सटाइल हब के रूप में विकसित हो रहे हैं. इंदौर का रेडीमेड गारमेंट क्लस्टर 1,200 से अधिक इकाइयों के साथ प्रदेश में रेडीमेड वस्त्र निर्माण की प्रमुख इकाई बन चुका है. यहां स्थित अपैरल डिजाइनिंग सेंटर और स्पेशल इकोनॉमिक जोन उद्योगों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान कर रहे हैं.
मेहमानों के लिए भोजन की खास व्यवस्था : यहां तीन अलग-अलग कैटेगरी में भोजन की व्यवस्था रहेगी. इसमें वीवीआईपी (मंत्री, विदेश और देश के बड़े बिजनेसमैन), वीआईपी-मीडिया और अन्य डेलीगेट्स के लिए खाने के डोम अलग-अलग होंगे. यहां पर खाने का मेनू मेटरिक्स एक जैसा रहेगा. इन तीनों कैटेगरी के मेनू में भारतीय और विदेशी व्यंजन दोनों होंगे, जिनमें कॉन्टिनेंटल और ओरिएंटल फूड्स के साथ-साथ मध्य प्रदेश के पारंपरिक व्यंजन भी शामिल होंगे.
राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में तीन कैटेगिरी में खाने की व्यवस्था की गई है. इसमें तीन अलग-अलग डोम बनाए जा रहे है. यह तीनों डोम एक दूसरे से इंटरकनेक्ट रहेंगे. पर्यटन विकास निगम भोजन की पूरी व्यवस्था कर रहा है. 125 लोगों की टीम दो दिन मेहमानों के लिए लंच तैयार करेगी. वीवीआईपी डोम में खाना खाने की व्यवस्था बैठ कर रहेगी. वहीं, बाकी दो कैटेगिरी में बुफे होगा. खाना सर्वे करने और व्यवस्था के लिए 200 लोग रहेंगे. विदेश से आने वाले मेहमानों को प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्र की स्पेशल व्यंजन का स्वाद चखाया जाएगा. दाल बाफला-दाल बाटी के साथ ही नर्मदापुरम की स्पेशल डेजर्ट मावा बाटी विशेष रूप से सर्व की जाएगी. इसे 100 प्रतिशत मावा से बनाया जाता है. इसके अलावा बघेलखंड की खास इंद्रहार की कढ़ी की परोसी जाएगी. इसे पांच तरीके दाल को मिक्स करके बनाया जाता है. जिसे उबालकर उसे बर्फी के शेफ में काट कर कड़ी में डाला जाता है. वहीं, मालवा की स्पेशल लाल भाजी भी स्पेशल डिस में रखी जाएगी. साथ ही मिलेट्स के भी दो आईटम रखे जाएंगे.
रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के बाद सीएम डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन करने जा रही है. प्रदेश में जहां रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव के माध्यम से क्षेत्रीय निवेश को बढ़ावा देने के लिए संभाग स्तर पर रोजगार के अवसर निर्मित करने के लिए निवेशकों के साथ वन टू वन किया. वहीं, अब ग्लोबल स्तर पर प्रदेश में बड़े निवेश और रोजगार के लिए सरकार ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का मेगा इवेंट करने वाली है. ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगी, जिसमें निवेश के क्षेत्र में अहम निर्णय लिए जाएंगे. इस समिट के दूसरे दिन पहली बार ‘मध्यप्रदेश प्रवासी शिखर सम्मेलन’ का आयोजन किया जा रहा है, इसमें दूसरे देशों में उद्योग, कारोबार कर रहे प्रदेश के करीब 250 से ज्यादा प्रवासी शामिल हो सकते हैं. जानकारी के अनुसार अब तक अमेरिका, यू   नाइटेड किंगडम, यूके, यूएई, जापान समेत कई देशों में रह रहे प्रदेश के अनिवासियों ने जीआईएस में आने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. इनकी संख्या करीब 150 के आसपास है. अधिकारियों के अनुसार मध्य प्रदेश प्रवासी शिखर सम्मेलन में 250 से ज्यादा एनआरआई के आने की संभावना है.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

विकास के पथ पर अग्रसर छत्तीसगढ़

-अनामिका कोई यकीन ही नहीं कर सकता कि यह वही छत्तीसगढ़ है जहां के लोग कभी विकास के लिये तरसते थे।  किसी को इस बात का यकिन दिलाना भी आसान नहीं है कि यही वह छत्तीसगढ़ है जिसने महज डेढ़ दशक के सफर में चौतरफा विकास किया है। विकास भी ऐसा जो लोकलुभावन न होकर छत्तीसगढ़ की जमीन को मजबूत करता दिखता है। एक नवम्बर सन् 2000 में जब समय करवट ले रहा था तब छत्तीसगढ़ का भाग्योदय हुआ था। साढ़े तीन दशक से अधिक समय से स्वतंत्र अस्तित्व की मांग करते छत्तीसगढ़ के लिये तारीख वरदान साबित हुआ। हालांकि छत्तीसगढ़ राज्य बन जाने के बाद भी कुछ विश्वास और असमंजस की स्थिति खत्म नहींं हुई थी। इस अविश्वास को तब बल मिला जब तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लूप्रिंट तैयार नही हो सका था। कुछेक को स्वतंत्र राज्य बन जाने का अफसोस था लेकिन 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सत्ता सम्हाली और छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लू प्रिंट सामने आया तो अविश्वास का धुंध छंट गया। लोगों में हिम्मत बंधी और सरकार को जनसमर्थन मिला। इस जनसमर्थन का परिणाम यह निकला कि आज छत्तीसगढ़ अपने चौतरफा विकास के कारण देश के नक...

शोध पत्रिका ‘समागम’ का नवीन अंक

  शोध पत्रिका ‘समागम’ का नवीन अंक                                       स्वाधीनता संग्राम और महात्मा गांधी पर केन्द्रीत है.                      गांधी की बड़ी यात्रा, आंदोलन एवं मध्यप्रदेश में                                          उनका हस्तक्षेप  केन्दि्रय विषय है.

नागरिक बोध और प्रशासनिक दक्षता से सिरमौर स्वच्छ मध्यप्रदेश

  मनोज कुमार वरिष्ठ पत्रकार                    स्वच्छ भारत अभियान में एक बार फिर मध्यप्रदेश ने बाजी मार ली है और लगातार स्वच्छ शहर बनने का रिकार्ड इंदौर के नाम पर दर्ज हो गया है. स्वच्छ मध्यप्रदेश का तमगा मिलते ही मध्यप्रदेश का मस्तिष्क गर्व से ऊंचा हो गया है. यह स्वाभाविक भी है. नागरिक बोध और प्रशासनिक दक्षता के कारण मध्यप्रदेश के खाते में यह उपलब्धि दर्ज हो सकी है. स्वच्छता गांधी पाठ का एक अहम हिस्सा है. गांधी जी मानते थे कि तंदरूस्त शरीर और तंदरूस्त मन के लिए स्वच्छता सबसे जरूरी उपाय है. उनका कहना यह भी था कि स्वच्छता कोई सिखाने की चीज नहीं है बल्कि यह भीतर से उठने वाला भाव है. गांधी ने अपने जीवनकाल में हमेशा दूसरे यह कार्य करें कि अपेक्षा स्वयं से शुरूआत करें के पक्षधर थे. स्वयं के लिए कपड़े बनाने के लिए सूत कातने का कार्य हो या लोगों को सीख देने के लिए स्वयं पाखाना साफ करने में जुट जाना उनके विशेष गुण थे. आज हम गौरव से कह सकते हैं कि समूचा समाज गांधी के रास्ते पर लौट रहा है. उसे लग रहा है कि जीवन और संसार बचाना है तो ...