शुक्रवार, 21 अगस्त 2009
कला और संस्कृति
सोमवार, 17 अगस्त 2009
नुक्ताचीनी
आज 18 अगस्त 09 के अखबारों में जमाखोरों पर कार्यवाही, आतंकी हमले की साजिश का प्रधानमंत्री का अंदेशा आज के अखबारों की खबर महत्वपूर्ण है। नयी बिजली दरों पर एक खास खबर पत्रिका ने प्रकाशित की है जिसमें बताया गया है कि हाॅस्टल में जलने वाली बिजली की दरें घरेलू बिजली की दरों से कम है। नईदुनिया की खास खबर में छोटी झील में मछली पकड़ने के लिये जहरीली दवा डालने का खुलासा किया गया है। वार्ड आरक्षण पर पत्रिका का शीर्षक आधी आबादी के नाम आधा शहर बेहद खूबसूरत और पठनीय है।
दैनिक भास्कर की लीड खबर जमाखोरों पर की जा रही कार्यवाही पर है वहीं दूसरी लीड प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के उस बयान को लिया गया है जिसमें आतंकी हमले की साजिश की बात कही गई है। इसके अलावा स्वाइन फ्लू से निपटने के लिये खरीदी पर एक खबर, सूखा से निपटने के लिये मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान द्वारा मांगी गई मदद एवं आतंकवाद से निपटने के लिये मुख्यमंत्री का केन्द्र से साथ देने का आग्रह के अलावा राजस्थान में वसुंधरा राजे के इस्तीफा नहीं देने और विधायकांे का साथ देने की खबर है। पहले पन्ने की एंकर स्टोरी नरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार की है। शहर के पन्नों पर वार्ड आरक्षण की खबर प्रमुख है।
नवदुनिया में वार्ड आरक्षण की खबर को प्रमुखता दी गई है। जमाखोरों पर कार्यवाही के संदर्भ में एक खबर शक्कर के दामों में कम होने की पहले पन्ने पर है। नवदुनिया के ही व्यापार पेज में शक्कर के दामों में वृ़िद्ध की खबर है। पहले पन्ने और व्यापार पेज की खबरें विरोधाभाषी हैं।
राज एक्सप्रेस की लीड खबर आतंकवाद पर है। इसके अलावा स्वाइन फ्लू और जसवंतसिंह की नयी किताब पर जिन्ना विवाद को प्रमुखता से दिया गया है। स्थानीय अखबारों में राज एक्सप्रेस के खबर का चयन एकदम भिन्न दिखता है जो अखबार को पठनीय बनाता है। आज की एक खास खबर मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी बिजली बचत के लिये एयरकंडीशनर के उपयोग पर रोक नहीं लगने की है।
पत्रिका की खास खबर बिजली के दरों को लेकर है। आम आदमी से जुड़ी खबर होने के नाते पाठकांे को यह रूचेगी। आतंकी साजिश के प्रधानमंत्री के बयान को प्रमुखता दिया गया है। वार्ड आरक्षण पर दूसरी लीड खबर की हेडिंग पत्रिका ने सबसे अच्छी लगायी है और लिखा है आधी आबादी के नाम आधा शहर।
सम्पादकीय टिप्पणीभास्कर और नवदुनिया ने शाहरूख के मुद्दे पर संपादकीय लिखा है। दोनों ही अखबारों ने अप्रत्यक्ष रूप् से अमेरिकी कार्यवाही को गलत नहीं कहा है बल्कि संपादकीय में कहा गया है कि भारत में भी इसी तरह कड़ाई से जांच की जानी चाहिए। संपादकीय में केन्द्रीय मंत्री अम्बिका सोनी की प्रतिक्रिया की भी हल्की सी आलोचना की गई है। पत्रिका की सम्पादकीय स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह द्वारा जलसंरक्षण के लिये कही गई बातों पर है। राजएक्सप्रेस ने सम्पादकीय में आतंकवाद एवं जमाखोरी पर टिप्पणी लिखी है।
स्वाधीनता दिवस के अवकाश के बाद राजधानी भोपाल से 17 अगस्त को प्रकाशित अखबारों में खबरांे को पिछले दिनों की अपेक्षाकृत ज्यादा जगह मिली है। आज अखबारों में विज्ञापन का दबाव थोड़ा कम है लेकिन मान्यता के अनुरूप् साठ-चालीस के मापदंड को अभी भी अनदेखा किया जा रहा है। सभी अखबारों ने स्वाइन फ्लू नहीं होने की खबर देकर आम आदमी को राहत दी है तो नवदुनिया ने मंदी में रोजगार के अवसर की खास खबर प्रकाशित की है।
दैनिक भास्कर भोपाल में लीड खबर स्वाइन फ्लू से संबंधित है। इस खबर से लोगों को राहत मिलेगी कि भोपाल में तो स्वाइन फ्लू का अंदेशा है ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश में भी इसका असर नहीं दिख पाया है। यह जनसामान्य के हित की बड़ी खबर है जो लोगों को राहत दे गयी। इसी तरह पत्रिका ने स्वाइन फ्लू की खबर को हाइलाईट किया है। नवदुनिया में स्वाइन फ्लू की खबर को अपेक्षाकृत छोटा दिया गया है वहीं राजएक्सप्रेस ने भी स्वाइन फ्लू की खबर को प्राथमिकता दी है।
दैनिक भास्कर की अन्य खबरों में प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संदेश में पानी बचाओ को राष्ट्रीय नारा बनाने की अपील को हाईलाईट करते हुए सेकंड लीड लिया गया है। नवदुनिया ने प्रधानमंत्री के त्वरित न्याय वाले पक्ष को हाईलाइट किया है जबकि पत्रिका ने प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संदेश को भीतर के पृष्ठांे पर दिया है।
दैनिक भास्कर की अन्य प्रथम पृष्ठ पर अन्य प्रमुख खबरों में जमाखोरों पर प्रहार, शाहरूख का अमरीका जाने से तौबा, वसंुधरा इस्तीफा देने तैयार, एलप्स पर भारतीय क्रिकेटरों की विजय की खबरें हैं तो नवदुनिया ने मंदी में रोजगार की संभावनाओं पर लीड खबर देकर एक बड़े युवा वर्ग में राहत की आस जगायी है। नवदुनिया की अन्य प्रमुख खबरों में शक्कर की जब्ती, बारिश की संभावना, वसंधुरा का इस्तीफे के लिये राजी होना, द्रविड़ की वापसी आदि है। पत्रिका में बेइमान आवासीय समितियों पर कार्यवाही किये जाने के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान की चेतानी, शक्कर की कीमतें नहीं बढ़ने देने का वायदा और द्रविड़ की वापसी मुख्य है। राज एक्सप्रेस में भी यही खबरें पहले पन्ने पर हैं।
सम्पादकीय टिप्पणीभास्कर ने प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम दिये गये संदेश पर संपादकीय लिखा है जिसका शीर्षक है लालकिले से पानी की गूंज। जलसंकट हमारे समय की महती समस्या है और जब प्रधानमंत्री कोई आह़वान कर रहे हैं तो इस पर गौर किया जाना उचित ही है।
पत्रिका ने द्रविड़ की टीम में वापसी पर सम्पादकीय लिखा है। यह सम्पादकीय खेलप्रेमियों को अच्छा लगेगा।
नवदुनिया ने संपादकीय में प्रधानमंत्री के भाषण को लिया है और सम्पादकीय में यह स्मरण कराया गया है कि वर्ष में एक दिन देश के प्रधानमंत्री देश की जनता से सीधे हिन्दी में संवाद करे, यह परम्परा पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी जिसका निर्वहन निरंतर हो रहा है। सम्पादकीय में पूर्व प्रधानमंत्री देवेगोैड़ा का स्मरण भी किया गया है जिन्हें देश की जनता को संबोधित करने के लिये हिन्दी सीखना पड़ा था। वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के देश के नाम संदेश को सरकार का रिपोर्ट कार्ड बताया गया है और लिखा गया है कि संदेश के साथ भविष्य के कुछ इरादे भी दिखे।
रविवार, 16 अगस्त 2009
पत्रकारों की बेकारी पर खामोशी कब तक?
एक तरफ मीडिया का विस्तार हो रहा है और दूसरी तरफ मंदी के बहाने पत्रकारों की लगातार छंटनी की जा रही है। जिन संस्थानों में छंटनी नहीं किया जा रहा है उन्हें अपने शहर से इतनी दूर कर दिया जा रहा है कि वे खुद होकर नौकरी छोड़ दें. हाल ही में खबर आयी है कि हमारे बीच के एक वरिष्ठ पत्रकार इलाज के अभाव में अकाल मौत के शिकार हो गये. समाज के लिये अपना सर्वस्व त्याग करने वाले पत्रकारों के साथ ऐसा व्यवहार कब तक होता रहेगा. क्या इस तरह पत्रकारों की नौकरी जाने से रोकने के लिये कोई एकजुट प्रयास नहीं किये जा सकते हैं. आप भी इस बारे में सोचते होंगे. किसी साथी की नौकरी जाने पर आप भी दुखी होते होंगे. संभव है कि जो साथी असमय नौकरी छूट जाने की वजह से बेकार हों, उनमें से एक आप भी हों. इस स्थिति में हम सब क्या कर सकते हैं, यह सोचना होगा. क्या आप अपनी खामोशी तोड़ना चाहेंगे? अविलम्ब इस बारे में अपनी राय रखें.
शनिवार, 15 अगस्त 2009
नुक्ताचीनी
साथियों,
आने वाले सोमवार 17 अगस्त से रिपोर्टर का नया काॅलम नुक्ताचीनी का प्रकाशन आरंभ होगा. नुक्ताचीन में भोपाल से प्रकाशित प्रमुख हिन्दी दैनिकों के खबरों का विश्लेषण किया जाएगा. इस स्तंभ का मकसद किसी आलोचना का नहीं बल्कि अपनी बात रखने का होगा. उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा प्रयास अच्छा लगेगा. आग्रह है कि अपनी प्रतिक्रिया से जरूर अवगत करायें. पक्ष और विपक्ष दोनों का हम तहेदिल से इस्तकबाल करेंगे.
शुक्रवार, 14 अगस्त 2009
आज़ादी की कहानी
राजेश राय।
भारत वर्ष १५ अगस्त १९४७ को गोरे शासकों से मुक्त होकर स्वतंत्रता का गीत गा रहा था और उस वक्त भी भोपाल रियासत के वाशिंदें मुक्त नहीं हो पाये थे। भोपाल की परतंत्रता तत्कालीन नवाब हमीदुल्ला खां के उस फैसले से हुआ था जिसमें उन्होंने अपनी रियासत का विलय से इंकार कर दिया था। यह वह समय है जब भोपाल रियासत की सरहद में वर्तमान सीहोर व रायसेन जिला भी शामिल था। लम्बे जद्दोजहद के दो साल बाद ३० अप्रेल १९४९ को भोपाल रियासत का विलय होने के साथ ही वह स्वतंत्र भारत का अभिन्न अंग बन गया। १ मई १९४९ को भोपाल में पहली दफा तिरंगा लहराया था। इस दिन भाई रतनकुमार गुप्ता ने पहली दफा झंडावदन किया। यहां उल्लेखनीय है कि १५ अगस्त १९४७ को भोपाल सहित जूनागढ़, कश्मीर, हैदराबाद और पटिलाया रियासत ने भी विलय से इंकार कर दिया था। भोपाल नवाब चेम्बर ऑफ प्रिंसेस के अध्यक्ष थे। उस समय जब पूरा देश स्वतंत्र होने का जश्न मना रहा था तब भोपाल रियासत में खामोशी छायी हुई थी। आजादी नहीं मिल पाने के कारण अगले वर्ष १९४८ को भी भोपाल में खामोशी छायी हुई थी। नवम्बर १९४८ में विलनीकरण आंदोलन का आरंभ हुआ और जिसकी कमान भाई रतनकुमार ने सम्हाली थी। उनके साथ जिन लोगों ने विलनीकरण के समर्थन में आगे आये उनमें डॉ. शंकरदयाल शर्मा, खान शाकिर अली खान, मास्टरलाल सिंह, उद्धवदास मेहता, प्रोफसर अक्षय कुमार जैन, विचित्रकुमार सिन्हा, शांति देवी, मोहिनी देवी, रामचरण राय, तर्जी मशरिकी, गोविंद बाबू एवं भोगचंद कसेरा आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। भोपाल में चतुरनारायण मालवीय एवं मास्टर लालसिंह ने हिन्दू महासभा की स्थापना की थी। खान शाकिर अली खान ने अंजुमने खुद्दामे वतन का गठन किया था। विलनीकरण आंदोलन की कमान सम्हालने वाली उस समय की संस्थाओं में हिन्दू महासभा, आर्य समाज और प्रजा मंडल ने अपनी महती भूमिका निभायी। नवम्बर में आरंभ हुआ विलनीकरण आंदोलन अगले साल सन् १९४९ के फरवरी माह में एकदम भड़क उठा। लगभग चालीस दिनों तक भोपाल बंद रहा। जुलूस, धरना, प्रदर्शन और गिरफ्तारियां होती रहीं। विलनीकरण आंदोलन में महिलाओं की भूमिका भी उल्लेखनीय रही। पुरूषों की गिरफ्तारी के बाद महिलाओं ने मोर्चा सम्हाल लिया। महिलाओं के सामने आने के बाद तो विलनीकरण आंदोलन एक नये स्वरूप में दिखने लगा। उस समय सिर पर बांधे कफनवा हो शहीदों की टोली निकली लोगों में जोश जगा रहा था। भोपाल विलनीकरण आंदोलन में समाचार पत्रों की भी अहम भूमिका रही। पंडित माखनलाल चतुर्वेदी कर्मवीर छाप कर नि:शुल्क वितरण के लिये भिजवाते थे तो भाई रतनकुमार का समाचार पत्र नईराह ने विलनीकरण आंदोलन को नईदिशा, जोश और उत्साह से भर दिया था। विलनीकरण आंदोलन अहिंसक नहीं रहा। आंदोलन को दबाने के लिये कई स्तरों पर कोशिशें हुर्इं। अत्याचार किये गये और आखिरकार खून-खराबा भी हुआ। बरेली के बोरास गांव में हुए गोलीचालन में तीन आंदोलनकारी शहीद हो गये। इस गोलीबारी से भोपाल की जनता बेहद आहत हुई। नवाब हमीदुल्ला शायद विलनीकरण समझौते के लिये कभी राजी नहीं होते लेकिन हैदराबाद में हुई सैनिक कार्यवाही ने उनके हौसले पस्त कर दिये। वे भीतर ही भीतर डर गये थे। विलनीकरण आंदोलन भी अपने पूरे शबाब पर था। इसी बीच प्रजा मंडल के अध्यक्ष बालकृष्ण गुप्ता दिल्ली जाकर तत्कालीन गृहमंत्री वल्लभभाई पटेल से मुलाकात की और आग्रह किया कि वे नवाब हमीदुल्ला की अनुचित मांगों को न मांगा जाए। चौतरफा दबाव के सामने आखिरकार नवाब हमीदुल्ला ने विलनीकरण करार पर दस्तखत करने के लिये राजी हुए। केन्द्र सरकार के राज्य सेल के सचिव पी. मेनन और नवाब हमीदुल्ला खान ने समझौते पर दस्तखत किया। इस तरह स्वतंत्रता प्राप्ति के दो वर्ष बाद भोपाल को भी स्वतंत्रता मिल पायी थी।
सीधी बात, नो बकवास
प्रो. मनोज कुमार भीड़ को चीरते हुए एक परेशान नौजवान सीधे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास जा पहुँचता है. अपनी तकलीफ बताता है और प्रमाण के तौ...
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-अनामिका कोई यकीन ही नहीं कर सकता कि यह वही छत्तीसगढ़ है जहां के लोग कभी विकास के लिये तरसते थे। किसी को इस बात का यकिन दिलाना भी आस...
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मनोज कुमार वरिष्ठ पत्रकार स्वच्छ भारत अभियान में एक बार फिर मध्यप्रदेश ने बाजी मार ली है और लगातार स्वच्छ शहर बनने का र...
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-मनोज कुमार इलेक्ट्रॉनिक माध्यम या मुद्रित माध्यमों का व्यवसायिकरण. इस बात में अब कोई दो राय नहीं है कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम या मुद्रि...