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मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस पर शोध पत्रिका ‘समागम’ का विशेष अंक


मित्रों,
आज एक नवम्बर है. हमारे अपने मध्यप्रदेश का 61वां स्थापना दिवस. आज से 60 वर्ष पूर्व 1956 को मध्यप्रदेश का गठन हुआ था. तब इस प्रदेश की कोई एकजाई पहचान थी तो यह कि यह प्रदेश भौगोलिक रूप से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है और भारत के नक्शे में ह्दयप्रदेश के रूप में चिंहित था. हमारे मध्यप्रदेश ने हौले हौले विकास के रास्ते पर कदम बढ़ाया. आज हम इस बात को गर्व से कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश अनेक मामलों में देश के लिए नजीर बन चुका है. बस, एक दर्द है तो छत्तीसगढ़ के अलग हो जाने का. मध्यप्रदेश के विभाजन का. हालांकि छत्तीसगढ़ के विकास को देखते हुए प्रसन्नता होती है. शोध पत्रिका ‘समागम’ मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस को सेलिब्रेट कर रहा है.
शोध पत्रिका ‘समागम’ के नवीन अंक में 1956-2016 के बीच के बदलाव, चुनौतियां और सफलता को विशेषज्ञों ने अपनी अपनी दृष्टि के साथ लिखा है. अंक के पहले शोध पत्रिका ‘समागम’  के मुखपृष्ठ आपके अवलोकनार्थ एवं प्रतिक्रिया के लिए आप सबकी शुभकामनाओं और आभार के साथ.

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-अनामिका कोई यकीन ही नहीं कर सकता कि यह वही छत्तीसगढ़ है जहां के लोग कभी विकास के लिये तरसते थे।  किसी को इस बात का यकिन दिलाना भी आसान नहीं है कि यही वह छत्तीसगढ़ है जिसने महज डेढ़ दशक के सफर में चौतरफा विकास किया है। विकास भी ऐसा जो लोकलुभावन न होकर छत्तीसगढ़ की जमीन को मजबूत करता दिखता है। एक नवम्बर सन् 2000 में जब समय करवट ले रहा था तब छत्तीसगढ़ का भाग्योदय हुआ था। साढ़े तीन दशक से अधिक समय से स्वतंत्र अस्तित्व की मांग करते छत्तीसगढ़ के लिये तारीख वरदान साबित हुआ। हालांकि छत्तीसगढ़ राज्य बन जाने के बाद भी कुछ विश्वास और असमंजस की स्थिति खत्म नहींं हुई थी। इस अविश्वास को तब बल मिला जब तीन वर्ष गुजर जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लूप्रिंट तैयार नही हो सका था। कुछेक को स्वतंत्र राज्य बन जाने का अफसोस था लेकिन 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सत्ता सम्हाली और छत्तीसगढ़ के विकास का ब्लू प्रिंट सामने आया तो अविश्वास का धुंध छंट गया। लोगों में हिम्मत बंधी और सरकार को जनसमर्थन मिला। इस जनसमर्थन का परिणाम यह निकला कि आज छत्तीसगढ़ अपने चौतरफा विकास के कारण देश के नक्शे

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टेक्नो फ्रेंडली संवाद से स्वच्छत

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